भ्रष्टाचार

 आजकल देश की समस्या भ्रष्टाचार है यह भ्रष्टाचार ऊपर से लेकर नीचे तक हैं हम लोगों को अब यह समझना होगा कि लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए कानून बनाने होंगे जिसकी वजह से देश के लोगों का जीवन स्तर सुधर सके और उत्साह के साथ ही साथ हम देख रहे हैं कि देश में मेट्रो सिटी ओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जिससे कि आने को समस्या उत्पन्न हो रही हैं जैसे कि हमारे जंगल काम हो रहे हैं दूसरी तरफ खेती की जमीनों पर अवैध कॉलोनियां बनाकर लगातार वहां पर अवैध रूप से कार्य किए जाते हैं एक और हमारी समस्या यह भी है कि हम इतनी बड़ी जनसंख्या को रोजगार देने में असमर्थ हैं तो हमें इस प्रकार कार्य करने होंगे कि हम अपनी जनसंख्या को नियंत्रण करते हुए लोगों के सॉलिड के हिसाब से कानून बनाएं चाहे वह किसी भी क्षेत्र के हो जैसे कि हम क्या सकते हैं दिल्ली में सबसे पहले हमें उन लोगों को रोजगार उत्पन्न कर आना होगा जो लोग कम से कम 20 से 30 साल दिल्ली में रह रहे हैं जिनमें ऐसे लोग भी हैं जो कम पढ़े लिखे हैं उन लोगों के लिए हमें पार्किंग छोटे-छोटे टेंडर आदि की व्यवस्था कर कर उन्हें रोजगार देना हुआ एक से एक बड़ा फायदा यह भी हुआ अन्य राज्यों के लोग फिर अपने राज्य में ही रोजगार तलाशने की कोशिश करेंगे ना कि रोजगार की तलाश में मेट्रो सिटी तरफ रुख करेंगे इससे एक बात और समझ में आएगी हर क्षेत्र में पर्याप्त कृषि भूमि होगी और जंगलों को ना काटने का भी एक अध्ययन चल सकता है जैसा कि गांव के अंदर आपने देखा होगा खेतीवाड़ी को मुख्य साधन माना जाता है इस वजह से लोग अपने राज्य में खेती भी करेंगे और जंगलों का संरक्षण भी कहेंगे इसी प्रकार हम जब अपने अपने गांव में रहेंगे तो अपनी नदियों का स्वयं सर्वेक्षण करेंगे इस प्रकार देश में विकास भी होगा दूसरी तरफ पर्यावरण चारों तरफ  इस वजह से लोग अपने राज्य में खेती भी करेंगे और जंगलों का संरक्षण भी कहेंगे इसी प्रकार हम जब अपने अपने गांव में रहेंगे तो अपनी नदियों का स्वयं सर्वेक्षण करेंगे इस प्रकार देश में विकास भी होगा दूसरी तरफ पर्यावरण चारों तरफ सुरक्षित होगा



                                                                                                                           प्रधान संपादक

                                                                                                                    गोपाल राजपूत करण

                                                                                                       मेरी दिल्ली मेरी शान (हिन्दी साप्ताहिक)